परामर्श-हेतु
‘‘राष्ट्रचेतनापरिषद्-भारत’’ द्वारा प्रस्तुत-निबन्ध
‘‘भारत-बनाम-इण्डिया’’
‘‘संकल्प का आधार और विकल्प का विचार’’
विषय- भारत बचाओ और इण्डिया हटाओ।
प्रस्तुतकर्ता-
आचार्य सन्त
डॉo पुष्पेन्द्र सिंह स्मारक-महाविद्यालय
घाटमपुर दुवारा, जनपद-अमेठी
पिन-227405
वेबसाइट: www.psspg.org
ईमेल: pssamethi@gmail.com
प्रेरक-
1. भारतीय वाङ्मय तथा परम्परा आचार, 2. भारतीय मनीषियों के विचार,
3. वर्तमान-राजनेताओं तथा जनता का भ्रम,
निबन्ध के चार अंश-
1. संकल्प का आधार 2. विकल्प का विचार 3. आह्वान 4. प्रतिज्ञा
प्रथम प्रस्तुति- प्रस्तुतकर्ता-
गंगा-संसद, महाकुम्भ प्रयाग आचार्य सन्त जी महाराज
22 जनवरी 2013 राष्ट्र चेतना परिषद्-भारत
उद्देश्य-
प्रथम चरण- प्रस्तुत निबन्ध का भारतीय मनीषा द्वारा किये गये मूल्यांकन से अवगत होना,
द्वितीय चरण- संवैधानिक उपायों की समीक्षा,
तृतीय चरण- लक्ष्य तक पहुँचने हेतु सहयात्रा,
चतुर्थ चरण- आवश्यक कर्तव्य,
राष्ट्रीय राजनीति से असम्बद्ध, राष्ट्र-नामनीति पर आधारित (निबन्ध)
‘‘भारत-बनाम-इण्डिया’’
‘‘सोच बदलकर-नाम बदल दो’’
15 अगस्त 1947 ई0 को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त (स्वतन्त्र) होने के बाद लगभग 64 वर्षों से ‘भारत’ सशक्त लोकतान्त्रिक देश है। लोकतन्त्र को दो- (1) राजनीतिक लोक तन्त्र, (2) राष्ट्रीय लोकतन्त्र-रूपों में परिभाषित कर सकते हैं।
(1) राजनीतिक लोकतन्त्र=नेतृवर्ग की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की पूर्ति करने में संलिप्तता तथा तन्त्र के प्रति गैर जवाबदेह होना।
(2) राष्ट्रीय लोकतन्त्र=समान-राष्ट्रअस्मितासंरक्षणसंगमिता, राष्ट्रीयता, स्वतन्त्रता, समानता, समरसता, तन्त्र के प्रति सहज संबद्धता।
जिज्ञासा -
(1) वर्तमान भारत का लोकतन्त्र राजनीतिक है या राष्ट्रिय?
(2) हम लोकतन्त्र के समान-राष्ट्रअस्मितासंरक्षणसंगमिता, राष्ट्रियता, स्वतंत्रता, समानता, समरसता के दृढ़व्रती हैं या नहीं?
(3) हम भारत के प्रमाणित सदस्य थे, अब हम भारतीय हैं या इण्डियन?
उद्देश्य-
उपर्युक्त तृतीय जिज्ञासा का अनुसन्धान करना लेख का मुख्य उद्देश्य है। अकारण-कारण को नाम परिवर्तन का कारण बनाने का औचित्य-आवश्यकता और आधार क्या था अथवा है? एतदर्थ समस्त भारत परिवार के सदस्यों का समवेत दु्रत प्रयास होना चाहिए, अनावश्यक का त्याग और आवश्यक का वरण करने हेतु भारत-परिवार के समस्त सदस्यों का ‘‘राष्ट्र चेतना परिषद-भारत’’ आह्वान करता है।
निवेदक-
इस जिज्ञासा के समाधान हेतु किये गये दु्रत समवेत प्रयास का परिणाम भावी भारत-परिवार हेतु अनुपम एवं ऐतिहासिक अनुदान होगा। अन्यथा निकट भविष्य में ही छद्म निर्मिता इण्डिया-सुरसा ऋषियों के चिन्तन स्थली भारत की समग्रता को निगल लेने हेतु समक्ष है।
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‘‘संकल्प का आधार और विकल्प का विचार’’
विषय-भारत बचाओ और इण्डिया हटाओ।
प्रस्तावना- सुदूर अतीत से चले आ रहे हम भारत-वासियों के विशुद्धतम संकल्प के समक्ष निकटतम अतीत में एक भद्दा विकल्प प्रस्तुत हुआ। तद्र्थ तत्कालीन परतन्त्रता में की गयी मौन स्वीकृति अब स्वतन्त्रता में भी हमारी आस्थामयी दृढ़ मान्यता बनकर भयावह होती जा रही है। हमारा संकल्प-जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तैकदेशे........है और विकल्प इण्डिया है। स्वतंत्र भारत में छद्मरूपा इण्डिया नामकरण के आधार का अभाव है।
संकल्प का आधार- भारत वर्ष मूलतः ऋषियों का देश है। आर्य-प्रतिभायें साक्षी हैं, कि-वाराह कल्प की सृष्टि के आदि मानव ‘मनु’ के पुत्र प्रियव्रत के पुत्र आग्नीध्र नाभि के पुत्र ऋषभ के समय तक जिस भूखण्ड का नाम ‘अजनाभ वर्ष’ था, ऋषभनन्दन ‘भरत’ के समय उसका नाम भारतवर्ष हो गया,-‘अजनाभं नामैतद्वर्षं भारतमिति यत आरभ्य व्यपदिशन्ति’ (भागवत पु0-5, 7, 3) भरत ने अजनाभ वर्ष में भा (प्रकाश) की खोज में रत (तल्लीन) ऋषियों के आर्षखण्ड (भू भाग) का नाम ‘भा$रत’ कर दिया। तभी से अबतक ‘अजनाभ वर्ष’ भारत वर्ष के नाम से विख्यात है। जितने भूखण्ड पर दुष्यन्त-शकुन्तलापुत्र ‘भरत’ का राज्य-शासन था, वह ‘भरत’ खण्ड के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
विष्णु पुराण (2, 1, 31-32), वायु पुराण (33, 52), लिंग पुराण (47, 23), ब्रह्माण्ड पुराण (14, 5, 62), अग्नि पुराण (107, 11, 12), स्कन्द पुराण खण्ड (37, 57), मार्कण्डेय पुराण (50, 41) आदि के साक्ष्य भी इस कथन की पुष्टि करते हैं।
विकल्प का विचार- अंग्रेजों ने इस भारत-का नाम ‘इण्डिया’ रख दिया।
जिज्ञासा-
1. द्रीप वर्ष के आधार पर किये गये पृथ्वी के विभाजन काल से अबतक जिस भूखण्ड का नाम ‘भारत’ चला आ रहा था, तब उसके ‘इण्डिया नामकरण का औचित्य, आवश्यकता और आधार क्या था अथवा क्या है?,
2. जब रोमनलिपि में भारत (BHARAT) आसानी से सुविधा पूर्वक लिखा जा सकता था तो भारत का नाम बदल कर इण्डिया (INDIA) रखने का क्या औचित्य और क्या आवश्यकता थी?,
3. विश्व के सभी देशों-अमेरिका, अफ्रीका, इण्डोनेशिया, जापान, चीन, भूटान, तिब्बत, ब्राजील आदि-का नाम रोमन में भी वही है जो उनका मूल नाम है। तो ‘भारत’ का नाम बदल कर ‘इण्डिया क्यों किया गया नाम परिवर्तन का औचित्य, आवश्यकता अथवा आधार क्या था?,
4. क्या सिन्धु नदी (वर्तमान-सिन्धु प्रान्त, पाकिस्तान में है, जिसे प्राचीन ग्रीक प्दकने कहते थे) जैसा ‘भारत’ का एक लघुतम विन्दु विशाल भारत के प्राचीनतम एतिहासिक नाम परिवर्तन का अकारण-कारण बनने में सक्षम हो सकता था?
5. ‘भारत का ‘इण्डिया नामकरण अंग्रेजांे ने किया है। INDIA से मिलते जुलते अंगे्रजी के शब्दों के अर्थों को देखा जाय, तो बहुत हल्केपन और दयनीय दशा को दर्शाने वाले हैं। क्या इन्ही मिलते-जुलते शब्दों के अर्थों की भावनाओं के आधार पर अंग्रेजों ने ‘भारत’ का नाम रोमनलिपि में INDIA रख दिया। INDIA से मिलते-जुलते शब्द निम्नांकित हैं-जिन अंग्रेजी के शब्दों में INDIA के प्रारम्भ के चार अक्षर INDI वही हैं, बाद के अक्षर A न होकर अन्य अक्षर हैं जैसे-
(1) Indict: अपराध या दोष लगाना, (2) Indigence: अति दरिद्रता, (3) Indigestible: न पचने योग्य,
(4) Indignant: कुपित अथवा रोषयुक्त, (5) Indignity: अनादर, अशिष्ट व्यवहार, (6) Indirect: कुटिल, टेढ़ा-मेढ़ा,
(7) Indiscernible: अप्रत्यक्ष, अदृष्टिगोचर, (8) Indiscipline: अविनय,अनुशासनहीनता (9) Indiscretion: अविवेक,
(10) Indispose: अयोग्य बनना (11) Indisposition: अरुचि, अस्वस्थता, (12) Indistinctive: अस्पष्ट आदि।
6. अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हम भारतवासी निर्विरोध सहर्ष इस नामकरण (INDIA) को क्यांे अपनाये हुए हैं?
7. इण्डिन बनकर गर्व करने वाले हम भारत के नागरिक क्या भारतीय कहे जाने पर छोटे हो जायेंगे?
8. क्या आजादी के सप्तम दशक में हम (भारत के लोग) अपने देश और संस्कृति (भारत और भारतीय का नाम भूलकर इण्डिया और इण्डियन के रूप में ही प्रस्तुत होते रहेंगे?
9. इस्ट इण्डिया जैसा वेस्टइण्डीज भी गुलामो का देश रहा है। जिसमें इण्डिया जैसा ही इण्डीज शब्द प्रयुक्त है। क्या गुलामों के देश को ही इण्डिया या इण्डीज तो नही कहा जाता रहा है।
10.अंगे्रजों ने समूचे भारत (भू खण्ड) पर राज्य किया और उस भू खण्ड का नाम इण्डिया रखा था। भारत को स्वतन्त्र करते समय भारत-भूखण्ड को दो भागों (भारत=इण्डिया=भारत$ पाकिस्तान) में विभक्त कर दिया गया। इस विभाजन में एक भाग इण्डिया (भारत) तथा दूसरे भाग का पाकिस्तान नामकरण किया गया, जब कि पाकिस्तान भी अंग्रेजों की इण्डिया का ही भू भाग है। तो भारत को ही इण्डिया क्यों कहा जाने लगा है?
11.क्या पाकिस्तान नामकरण करते समय ही इण्डिया के उतने भू खण्ड से इण्डिया नाम का अभाव हो गया, जबकि सिंधु नदी वर्तमान पाकिस्तान में ही प्रवाहित है, तब इण्डस विहीन वर्तमान स्वतंत्र भारत कैसे और क्यों है?
12.क्या बिना सोचे समझे ही हमने विभक्त भू खण्ड भारत को ही इण्डिया मान लिया?
>> उपर्युक्त तथ्य राष्ट्रचेतना की सहज जिज्ञासा के विषय विन्दु बन गये हैं। जिनका संवैधानिक समाधार प्रस्तुत कर अपने संकल्प की प्रतिष्ठा करने हेतु विशाल भारत परिवार के समस्त सदस्यों का-‘राष्ट्रचेतना परिषद-भारत’ आह्वान करता है। एकजुट होकर समवेत स्वर में कहो,-
आह्वान- ‘इण्डिया’ हटाओ ‘भारत’ बचाओ, भारत मूलतः आर्य खण्ड है, भारत की संस्कृति सनातन है, सभी वर्ण, धर्म बिरादरी के भारतवासी आर्यपुत्र हैं, हमारे पिता आर्य हैं माता आर्य संस्कृति है, जीवन पद्धति की भिन्नता होते हुए भी हम सभी एक ही कुटुम्ब के सदस्य हैं, अतः समवेत स्वर में प्रतिज्ञा करनी होगी-
प्रतिज्ञा- अपने भारत देश का नाम इण्डिया हटाकर पुनः विश्व मंच पर भारत के रूप मे स्थापित करना हमारी महत्त्वपूर्ण प्राथमिकता है, एतदर्थ समस्त संवैधानिक उपाय करना हमारा मुख्य कर्तव्य है, जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तैकदेशे.......... हमारा संकल्प है। हम अपने संकल्पसंरक्षण-यज्ञ मंे भारत के विकल्प इस इण्डिया को आहुत करते हंै। ‘‘जय-भारत जय-भारती,’’कृपया अपना राय दे।
निवेदक
आचार्य सन्त
(राष्ट्र चेतना परिषद् भारत)
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